Tuesday, October 14, 2008

Meaning of Yoga { योग का अर्थ }


Yoga is from the word "Yuj" which means "to join".According to maharishi Patanjali {Founder of YOGA},the meaning of the word Yuj is to stabilise the mind for the union of Atama and Parmatama.That means Yoga is a way to join GOD.According to bhagvat geeta yog means "योगम्क्र्म्सुकोश्लम"। In yog Darshan yog means " योगश्चित्व्रितिनिरोध:".
योग संस्कृत के शब्द " YUJ" से लिया गया है जिसका शब्दिक अर्थ है जोड़ना।अर्थार्त आत्मा से परमात्मा का मिलन योग है। महारिषी पतंजलि जी जो योग के जन्मदाता माने जाते हैं के अनुसार आत्मा को परमात्मा से जोड़ना योग है। भगवत गीता के अनुसार " जो भी कार्य सही प्रकार से किया जाए वह योग है। योग दर्शन में चित{ मन,बुद्धि और अंहकार } की वृतियों { बुराइयों } का निरोध {रोकना} ही योग है।

Importance of Yoga {योग का महत्व }

Yoga is a real source to lead a well knit life.The main theme of Yoga is to achieve self-realisation and attaining control over the mind.Yoga helps to provide diseases free life.Regular practice of Yoga develops and purifies the body and mind to its optimal level.It develops ability to control our sense organs to function properly.It also removes the stress and tensions.Yoga practice cure Heart diseases.It also cure stomach,liver and kidney diseases.Regular practice of pranayama control our breathing problems.Some pranayama and practice of Meditation improves our concentration level.Many Yoga techniques cure Ortho-problems.Yogasana tone up the body muscles.It also good for nervous system.Regular practice of Yoga gives us sound mind,body and soul.
योग एक अच्छा स्वस्थ जीवन के लिए अमृत के सामान है। योग का मुख्य उद्देश्य अपने मन और मस्तिष्क को स्थिर रखना है। योग हमें सवस्थ रखने व बिमारियों से बचाने में मदद करता है। योग का नियमित अभ्यास करने से हमारी इन्द्रियाँ सही प्रकार से कार्य करती हैं। यह हमें तनाव रहित जीवन जीना सिखलाता है।योग का निरंतर अभ्यास हमारे ह्रदय को सवस्थ रखने में भी सहायक है। पेट सम्बंधित रोग, यकृत एवम मूत्राशय सम्बंधित रोगों का निवारण भी करता है। प्राणायाम का निरंतर अभ्यास करने से साँस सम्बंधित रोगों का निवारण होता है।स्मरण शक्ति को बढाने के लिए प्राणायाम व ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। कुछ योगाभ्यास हड्डियों के रोगों को स्वस्थ रखने में अहम् भूमिका निभाते हैं।यह हमारे मांसपेशियों एवं तंत्रिका तन्त्र के लिए भी लाभदायक है। कुल मिलाके योग हमारे तन,मन एवं आत्मा के लिए लाभदायक है।

Monday, October 13, 2008

yoga is a Heritage of India [ योग भारत का धरोहर]


Indian culture is very old and very wide।Yoga had originated in India many year ago।It is tae oldest system of personal development.

Yoga originated in ancient yoga and is one of the longest surviving philosophical systems in the world.Some scholars have estimated that yoga is as 5000 years;artifacated detailing yoga postures have been found in India from over 3000 BC..Yogic claim that it is a highly developed science of healthy living that has been tested and perfected for all those years.

In ancient time's yoga cultural values had no written records but it was inherited from generation to generation through yogis.It was taught in form of educational patterns to good ones like students at school.Yoga has been described in holy book RAMAYANA {रामायण} where its meditation part has been explained.

In GEETA [भगवत गीता] Lord krishna had explained about karma yoga.

The origins of Hatha yoga have been traced back to the eleventh century A.D.The snskrit word yoga Ha means SUN and Tha means MOON.


शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सस्कृति के रूप में योगासनों का इतिहास समय के अनंत में छुपा हुआ है। मानव जाती के प्राचीनतम साहित्य वेदों में इनका उल्लेख मिलता है। कुछ लोगो का विश्वास है की योग विज्ञानं वेदों से भी प्राचीन है। कुछ जानकरों का एसा मानना है की योग ५००० साल पुराना है। 3000 B.C. में भारत में प्राचीन योगासनों के कुछ चित्र मिले। कुछ योगी दावा करते हैं की योग की परम्परा काफी विकसित है और जीवन जीने की कला सिखलाती है तथा यह पुरी तरह सिद्ध है। पुराने समय में इसका कोई लिखित दस्तावेज उपलभ्द नही है परन्तु यह परम्परा विरासत में योगियो द्वारा सिखाई गई है। यह विद्या प्राचीन समय में गुरुकुल में शिष्यों को विषय के रूप में सिखाई जाती थी। रामायण में भी योग के विषय के बारे में वर्णन मिलता है। रामायण में दायां के रूप में इसका वर्णन है। भगवत गीता में श्री कृष्ण ने कर्म योग का विस्तार पूर्वक वर्णन किया है।


परम्परा और धर्मिक पुस्तकों के आधार के अनुसार आसनों सहित योग की खोज बागवान शिव ने की थी। एसा मन जाता है की प्रारम्भ में ८४,००,००० आसन थे जो ८४,००,००० योनियो का प्रतिनिधितव करते थे।



Sunday, October 12, 2008

Salutation to the Sun { सूर्य नमस्कार }


Suryanamskar which involves 12 steps.
सूर्यनमस्कार एक ऐसा अभ्यास है जिसमे १२ आसन शामिल होते हैं और प्रत्येक अवस्था में अलग मंत्रों का उच्चारण होता है ।
STEP 1. OM MITRAYE NAMAHA [ॐ मित्राए नमः ]
STEP २. OM RAVAYE NAMAHA [ॐ रवये नमः]
STEP 3.OM SURYAYE NAMAHA [ॐ सुर्याये नमः]
STEP 4. OM BHNNUVE NAMAHA [ॐ भानुवे नमः]
STEP 5. OM KHAGAYE NAMAHA [ॐ खगाये नमः]
STEP 6 OM PUSHNE NAMAHA [ॐ पूष्णे नमः]
STEP 7. OM HIRANYA GARBHAYE NAMAHA [ॐ हिरण्यगर्भाये नमः]
STEP 8. OM MARICHYE NAMAHA [ॐ मरीचये नमः]
STEP9. OM ADITAYAYE NAMAHA [ॐ अदित्याये नमः]
STEP 10.OM SAVITHRE NAMAHA [ॐ सवित्रे नमः]
STEP 11. OM ARKAYE NAMAHA [ॐ अर्काये नमः]
STEP 12.OM BHASKARYE NAMAHA [ॐ भास्कराए नमः]
PROCESS - Stand up straight and place both the feet together.Fold the hands and place the hands on the chest.
[ प्रथम अवस्था मे सीधे खड़े होकर दोनों हाथ जोड़ कर अभ्यास प्रारंभ करेंगे।]
Step 2 - inhale and raise the hands up.Then slowly bend backward as much as you can.
[ दूसरी अवस्था में गहरी साँस लेते हुए दोना हाथों को उपर उठाएंगे और धीरे धीरे पीछे की और कमर को मोडेंगे ।] जितना आप मोड़ सकें .
STEP 3. - Exhale slowly and come forward with hands.Bend yourself forward and place the hands on the ground beside the feet. Your legs should be straight.
[ तीसरी अवस्था में साँस बाहर निकालते हुए धीरे आगे की तरफ़ मुडेंगे और अपने हाथों को जमीन पर दोनों पैरों के साथ लगा देंगे। माथे को घुटनों से लगाने का पर्यास करें।] परन्तु आसानी से जितना कर सकें करें।
STEP 4 . Inhale slowly,pressing the ground with the palms of both the hands.Then stretch the left leg backward.Hold the head high and look straight ahead.
[चौथी अवस्था में साँस लेते हुए अपनी बायीं [उलटी] टांग को पीछे की और ले जायें, आपकी दायीं टांग आगे ज़मीन पर रहेगी और दोनों हाथ भी दायीं टांग के दोनों तरफ़ रहेंगे। आपका सर उप्पेर की निकक्लते रहेगा।
STEP 5. Exhale and push the right leg backward and maintain the mountain pose.
[ पांचवी अवस्था में दायीं टांग को भी पीछे की और ले जायेंगे और शरीर की स्थिति पर्वत के समान बन जायेगी।]
STEP 6. Slowly bring the chest,head and knees down so that the entire body should be close to the ground.
[ इस अवस्था में माथा,छाती और दोनों घुटनों को ज़मीन पर लगायेंगे।
STEP 7. In this pose inhale slowly and straighten the hands and simultaneously move the chest and head up.Bend the back.Just like a cobra pose.
[ इस अवस्था में कमर को पीछे की तरफ़ मोडेंगे, दोनों टाँगे पीछे से मिली रहेंगी और सीधी रहेंगी। दोनों हाथों को जितना हो सके सीधा रखेंगे। बिल्कुल भुजंग आसन की तरह। ]
STEP 8 This is like a 5 step.
[ इस अवस्था को पांचवी अवस्था की तरह करते हैं। ]
STEP 9. Just like a 4 step but in this pose your right leg stretch backward and left leg forward.
[ इस अवस्था में ४ स्टेप की तरह ही करतें हैं परन्तु इस बार दायीं टांग पीछे और बाईं टांग आगे होती है। ]
STEP 10. Like a 3 step.
[ बिल्कुल ३ की तरह। ]
STEP 11. Like a 2 step.
[ बिल्कुल २ की तरह। ]
STEP 12। Like a 1 step.
[ बिल्कुल १ की तरह। ]
It is a complete exercise of whole body.It gives energy to the body.It cures stomach diseases.Toneup all nervous system and muscular system.Provide strength to the back and spine.It increase the blood circulation.Reduce fat,stress,back pain,depression etc.
सूर्यनमस्कार का निरंतर अभ्यास करने से विभीन प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। शरीर के सभी अंगो के लिए लाभदायक है। तनाव,गुस्सा,चिडचिडापन,घबराहट,सिरदर्द आदि बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। खून का संचार शरीर में ठीक प्रकार से होता है। नसों व मांसपेशियों के लिए भी लाभदायक है।



Elements of Yoga


According to maharishi Patanali, it has suggest 8 folds process to attain purification of body and mind and achieve Atma and Parmatama.They are -
यम् नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान समाधी
1. YAM - These are the basic principles of the benefits of society.They are honesty, truthful,non-violence,non-steal and absence.
2 NIYAMA - These are the basic principles for self.They are excretion,satisfaction, devotion, regular study of the Vedas and deep devotion to God.
3. ASANA - स्थिरसुखमास्नाम asana are to improve the whole body fitness.
4. PRANAYAMA - To control the breath is called pranayama.Its a breathing exercises.
5. PRATAYAHAR - These are performed to improve intellectual capability.It develops inner mental strength by controlling sense organs.
6. DHARNA - Concentrating your mind on the navel center,heart which is in the form of white lotus,light glowing on you head,center of the eyebrows,front portion of the nose,front portion of the tongue and suture on the top of the head and other physical part and sitting in one place attentively is called concentration.
When the senses and mind starts turning inwards due to resisting the senses,concentrating them on a particular place with respect to condition is called concentration.Diverting the mind from a huge subject and focusing it on light aims soul supreme.
7.DHAYANA - Process to control the mind.It develops concentration.
8. SAMADHI - When meditation reaches its climax is called samadhi.